हर गधे की तमन्ना है, वो भी दौड़े रेस में। धर्म कर्म से सारे ख़च्चर, रहें अश्व के भेस में। दिल में इनके लड्डू फूटे, विष पीने की बात करें। खेल बनाके देश को अपने, जनता का विश्वास बने। रविकुमार हर गधे की तमन्ना है, वो भी दौड़े रेस में। धर्म कर्म से सारे ख़च्चर, रहें अश्व के भेस में। दिल में इनके लड्डू फूटे, विष पीने की बात करें। खेल बनाके देश को अपने, जनता का विश्वास बने।