दिल ओ धड़कन छोड़ ख़ामोशियाँ भी सुनाई दे उसकी नब्ज़ सुन सकूँ मुझको इतनी तन्हाई दे मुझको तेरी क़ैद में रहने से ऐतराज़ नहीं मगर सुन सलाखें और मज़बूत कर या फिर रिहाई दे वो जब से गया है और भी रूह-ब-रूह हो गया मिला तो न सका कम से कम ढंग की जुदाई दे इश्क़ प्यार मुहब्बत मुस्कुराहट ऐतबार इंतजार मुझको ये मर्ज़ तूने ही दिए हैं ख़ुदा तू ही दवाई दे जो रातें ख़्वाब गुलाब शराब तेरे हक़ में जमा की थी मेरा हिसाब कर मुझको लौटा वो सारे पाई पाई दे © technocrat_sanam मेरी ज़ुबाँ पर यक़ीन नहीं तो मेरी नज़र पढ़ ले उधर ज़रा भीड़ है सुन तू मुझको इधर पढ़ ले! #हिसाब दिल ओ धड़कन छोड़ ख़ामोशियाँ भी सुनाई दे उसकी नब्ज़ सुन सकूँ मुझको इतनी तन्हाई दे मुझको तेरी क़ैद में रहने से ऐतराज़ नहीं मगर