मुझसे भी बात करो गुमनाम हू दुनिया से अनजान हू कुछ गिने चुने को अपना मान बेठा, जेसे खुदा का फरमान हो कुछ रिश्ते तोड़ दिए मेने अपने ही और कुछ को भुला दिया शायद टूट जाने की ठोकर खा खाकर खुद सुधर गया या मुकाम ठुकरा दिया आख़िर मैं भी एक इंसान हू Open book होते हुए पता ही नही चला कब भीड़ से अलग हो गया पड़ाई का बोझ कह लो या जिम्मेदारि, लगता हे अब मैं जेसे बड़ा हो गया!! बस बिना मोल भाव किए माँ जेसा रिश्ता निभा सको, तो रुक जाना साथ बेठे कभी कुछ बोलू या ना बोलू हल्के से मुस्करा जाना क्या पता मूड केसे change हो जाए जो मैं किसी को नही बता पाया, वो बात तुझ तक पहुच जाए!! रोक लेना मुझे हद्द पार करने से, क्या पता एक जान बच जाए किसी के 2 took बात करने से! हाँ बात करो मुझसे , भीड़ मे छुपा ये इंसान ही कह रहा है, मुस्किल मोड़ आते है सबके ये हालत कह रहा है!! समझ लेना, सुन लेना, क्या पता वो कुछ कहना चाह रहा हो, पेसे से ज्यादा क़ीमती क्या पता 2 पल साथ बिताना चाह रहा हो! समझ लेना उसकी परेशानी, क्या पता वो कपड़ा फंदा बनने से बच जाए, दोस्तों पर बोझ ही कह लो पर क्या पता उस मासूम की जान बच जाए!! Spread as much as you can!!