White छूट गए पीछे जाने कितने, जैसे गाँव खेत खलियान..! ज़माने में जलते दिखे, दिल दीयों के समान..! बढ़ते गए जैसे आगे, सबके अपने अपने अभिमान..! लुप्त हो गए गुप्त तरीके से, रहमदिल इंसान..! अहम् ने वहम पाले जितने, जीवन के उतने नुकसान..! ख़्वाहिशों की चिता जली, ख़्यालों को मिला श्मशान..! अस्तित्व की लड़ाई ज़िन्दगी की पढ़ाई, भूल बैठी अपनी पहचान..! ©SHIVA KANT(Shayar) #Sad_Status #rahamdilinsan