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बहुत मन करता था कि वो over bridge बन जाए। भीड़

    बहुत मन करता था कि वो over bridge बन जाए। भीड़ ट्रैफ़िक में जब पहली बार गाड़ी लेकर निकली लॉक डाउन में, लगा ही नहीं लॉक डाउन चल रहा है। डर के मारे या धूप में पता नहीं, पर हाथों के पसीने से हैंडल की पकड़ फिसल रही थी। छोटे छोटे पत्थर पर जब ब्रेक देते वक़्त गाड़ी थोड़ी थोड़ी फिसल रही थी, हाथों में अनचाह पसीना फिर से मुश्किलें बढ़ाते थे। याद है, ब्रेक लगा के खड़ी थी तब किसीने नंबर प्लेट को ठोक दिया। इतनी हड़बड़ी क्यों होती है समझ में नहीं आता। या उनकी आँखें उनको धोखा दे जातीं हैं। 
    अब खुश हूँ over bridge बन गया है। तीन lane वाले brigde में जाते हुए हवा जब मुझसे टकराति है, लगता है मैं उड़ रही हूँ। किसीके ठोकने का डर नहीं और ना ही पत्थर और पसीने का। पर एक बात तो है, अब over bridge के नीचे गाड़ी चलाने में ज्यादा मज़ा आता है। #From Bhubaneswar
    बहुत मन करता था कि वो over bridge बन जाए। भीड़ ट्रैफ़िक में जब पहली बार गाड़ी लेकर निकली लॉक डाउन में, लगा ही नहीं लॉक डाउन चल रहा है। डर के मारे या धूप में पता नहीं, पर हाथों के पसीने से हैंडल की पकड़ फिसल रही थी। छोटे छोटे पत्थर पर जब ब्रेक देते वक़्त गाड़ी थोड़ी थोड़ी फिसल रही थी, हाथों में अनचाह पसीना फिर से मुश्किलें बढ़ाते थे। याद है, ब्रेक लगा के खड़ी थी तब किसीने नंबर प्लेट को ठोक दिया। इतनी हड़बड़ी क्यों होती है समझ में नहीं आता। या उनकी आँखें उनको धोखा दे जातीं हैं। 
    अब खुश हूँ over bridge बन गया है। तीन lane वाले brigde में जाते हुए हवा जब मुझसे टकराति है, लगता है मैं उड़ रही हूँ। किसीके ठोकने का डर नहीं और ना ही पत्थर और पसीने का। पर एक बात तो है, अब over bridge के नीचे गाड़ी चलाने में ज्यादा मज़ा आता है। #From Bhubaneswar
jitasahu2248

Jita Sahu

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