भरकर आंख में तुझको,बस बढ़ते जाना है है मोहब्बत सीने में,सभी को बतलाना है।। बनकर इत्र घुल जाऊँ,बून्द-बून्द साँसों में बन खुश्बू रूह तक,बिखर कर महक जाना है।। अंजली श्रीवास्तव भरकर आंख में तुझको,बस बढ़ते जाना है है मोहब्बत सीने में,सभी को बतलाना है।। बनकर इत्र घुल जाऊँ,बून्द-बून्द साँसों में बन खुश्बू रूह तक,बिखर कर महक जाना है।। अंजली श्रीवास्तव