बचपन और शैतानी बचपन ही तो मेरा अपना था, तब कोई अपना , ना पराया था , नादान किस्से मेरे बचपन के , , आल्लहड़ बाते, सखियों के संग खेल वो गुड़िया गुड़ियों का, वो पीपल का पेड़ , वो नीम छाया, o आम की अमराई , वो पानी का पनघट , वो खेतो की फसलों की बलि, गेहूं के खेत , o चने के खतो से, चने की चोरी , वो यारी भी क्या यारी थी, बेमतलब की यारी थी , काश वो फिर से एक बार कोई वापस ला दे, जी लु उस बचपन को फिर से , मिल लूं उन बेमत लब के यारो से, अबकी तो यारी बस मतलब की यारी , #bachpan