बेशक घनेरी रात में, अन्धेरों की मनमानी है,, पर दीयों ने भी तो, अंधेरा चीरने की ठानी है..... रात भर का जो भी, जलते दीयों का संघर्ष है ,, घोर निराशाओं के ऊपर, आशाओं का स्पर्श है,... त्रिदेवी ने अपने लोक से भेजे 1-1 सदस्य हैं,, गणपति, लक्ष्मी व सरस्वती जी का सामंजस्य है.... बुद्धि दाता गणेश जी आये शिव शंकर के धाम से,, ब्रह्मलोक से सरस्वती आई, लक्ष्मी बैकुंठ धाम से..... ज्ञान, बुद्धि, धन मिलकर जब एकत्र हो जाते हैं,, सद्भाव, सद्बुधि से धन कमाकर सत् पुरुष बन जाते हैं.... जो भी बाँटे ज्ञान वैभव, उसी का जगत में वन्दन है,, दीपपर्व पर आप सभी का खूब खूब अभिनंदन है.....🪔🪔🪔 ©Pragya Karn #Diwali #nojohindi #dipotsav #Happiness #Festival #festivevibes