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पलकों पे शबनम लिखते हैं, जब आँखों का ग़म लिखते हैं

पलकों पे शबनम लिखते हैं,
जब आँखों का ग़म लिखते हैं,

गीत ग़ज़ल सब झूठी बातें,
ज़ख़्मों पे मरहम लिखते हैं,

रूठा है इक साथी जबसे,
चाहत के मौसम लिखते हैं,

उनका है कुछ ज़्यादा हिस्सा,
खुद को थोड़ा कम लिखते हैं,

जब तन्हा रोती हैं रातें,
यादों को हमदम लिखते हैं,

क्यूँ खटके दुनिया को,
ऐसा भी क्या हम लिखते हैं...

unknown Shayar... #NojotoQuote अच्छी लगी शायरी तो कर दी post लोगो के पढ़ने के लिये... Satyaprem @j_$tyle Manpreet Kaur (Mani)
पलकों पे शबनम लिखते हैं,
जब आँखों का ग़म लिखते हैं,

गीत ग़ज़ल सब झूठी बातें,
ज़ख़्मों पे मरहम लिखते हैं,

रूठा है इक साथी जबसे,
चाहत के मौसम लिखते हैं,

उनका है कुछ ज़्यादा हिस्सा,
खुद को थोड़ा कम लिखते हैं,

जब तन्हा रोती हैं रातें,
यादों को हमदम लिखते हैं,

क्यूँ खटके दुनिया को,
ऐसा भी क्या हम लिखते हैं...

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