टिका हुआ है शाख की मुंडेर पर..
उम्मीदों का इक बादल..
सीली हुई सी हवा में विचारो से बोझिल..
काँप रहा है वो बादल..
मिला दो सपनों से इक बार ये शाख..
खुद ही आगों में बरस जाएगा ये बादल..
सौंधी सी खुशबुओं सा है..
ख्वाबों का ये बादल.. #Hindi#writersofindia#hindiwriters#hindipoetry#yqhindi#somyabaranwal