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मेरे ख्वाबों का, मेरी उम्मीदों का पता अभी खोया नही

मेरे ख्वाबों का, मेरी उम्मीदों का पता अभी खोया नहीं है, वो देखो बादल का टुकड़ा इस शाख से लिपट कर अभी रोया नहीं है  टिका हुआ है शाख की मुंडेर पर.. 
उम्मीदों का इक बादल..
सीली हुई सी हवा में विचारो से बोझिल..
काँप रहा है वो बादल..
मिला दो सपनों से इक बार ये शाख..
खुद ही आगों में बरस जाएगा ये बादल..
सौंधी सी खुशबुओं सा है..
ख्वाबों का ये बादल..
मेरे ख्वाबों का, मेरी उम्मीदों का पता अभी खोया नहीं है, वो देखो बादल का टुकड़ा इस शाख से लिपट कर अभी रोया नहीं है  टिका हुआ है शाख की मुंडेर पर.. 
उम्मीदों का इक बादल..
सीली हुई सी हवा में विचारो से बोझिल..
काँप रहा है वो बादल..
मिला दो सपनों से इक बार ये शाख..
खुद ही आगों में बरस जाएगा ये बादल..
सौंधी सी खुशबुओं सा है..
ख्वाबों का ये बादल..

टिका हुआ है शाख की मुंडेर पर.. उम्मीदों का इक बादल.. सीली हुई सी हवा में विचारो से बोझिल.. काँप रहा है वो बादल.. मिला दो सपनों से इक बार ये शाख.. खुद ही आगों में बरस जाएगा ये बादल.. सौंधी सी खुशबुओं सा है.. ख्वाबों का ये बादल.. #Hindi #writersofindia #hindiwriters #hindipoetry #yqhindi #somyabaranwal