बरी उलझनों से साथ गुज़र रहा हु..। यु समझो किसी सागर में तैर रहा हु..। किसी दिन किसी कस्ती के साथ किसी किनारे पर लगूंगा..। पर इसी उम्मीद में अब मैं अपनों से बिछड़ रहा हु..। - राहुल सिंह बरी उलझनों से साथ गुज़र रहा हु..। यु समझो किसी सागर में तैर रहा हु..। किसी दिन किसी कस्ती के साथ किसी किनारे पर लगूंगा..। पर इसी उम्मीद में अब मैं अपनों से बिछड़ रहा हु..। - राहुल सिंह