हर दिन एक जंग है, जंग के कई रूप कई ढंग है, तुमने सोचा शाम ढलते ही अंत हो जाएगा, यह तो अनंत ग्रंथ का पहला प्रसंग है, कपडे बिखरे,बिखरे सारे बाल है, रोज वक्त से लडकर देखो यह हमारा हाल है, किसी से पूछते भी नहीं "कैसे हो?", सदियों से चला आ रहा यह कैसा बेतुका सवाल है? लहु बेरंग हो जाता है आँखों के प्याले मे आ कर, ना जाने क्या कहना चाहते है मेरे आँसूं खुद को मिट्टी मे मिला कर, तलवारें कितनी उठी है मेरी बगावत मे, मेरी महफिलों मे यही गले मिलते थे फूल ला कर ।। #yqbaba #yqdidi #shayari #hindipoetry #hindi #war #philosophy #yqhindi