मै भी एक कहावत बदलना चाहता हूं , निराश चेहरों पर - आशा की मुस्कान देखना चाहता हूं ! क्यों कहते हो तुम ? 'एक दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात' सच तो ये है - 'एक दिन की अमावस - फिर रोशनी भरी रात !' निशीथ सिन्हा # आशा # optimist # hope