जब-जब महकती हैं मेरी रातें , एक चाहत सी हवाओं में घुल जाती हैं। मैं न जाने क्या सोचती हूँ , जो इन्हें आने की दावत मिल जाती हैं। मैं हो जाती हूँ गुम तेरी इन ख़्वाबों के समंदर में, एक सुनामी सी मेरे दिल में उठ जाती हैं। तन-मन में प्रेम ज्वाला जलकर , हर पल इस ह्रदय को जलाती हैं। तेरे ख़्वाबों के खुशबू में न जाने क्या जादू हैं, जो मेरे मन को पाग़ल कर जाती हैं। #napowrimo का 18वाँ दिन है बल्कि कहें 18वीं रात और उस ख़्वाब की ख़ुशबू है, जिसमें हम जीते हैं। #ख़्वाबकीख़ुशबू #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #ख़्वाब #suchitapandey #सुचितापाण्डेय