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तुम और कविता सोचती हूँ क्या लगता है अब तू मेरा?

तुम और कविता  

सोचती हूँ क्या लगता है अब तू मेरा???
मेरी कविता अब भी तुज पे  क्यूँ होती है???
वो भी मुझसे अब तुज सी छल करती है...Nidhi
कहने को वो मेरी है...पर तेरे ही सपने पिरोती है...
मेरी कविता के हर एक शब्दमें क्यूँ है तेरा ज़िक्र???
तुज ही को सोच के अब भी मेरी आँखें क्यूँ रोती है??? #कविता
तुम और कविता  

सोचती हूँ क्या लगता है अब तू मेरा???
मेरी कविता अब भी तुज पे  क्यूँ होती है???
वो भी मुझसे अब तुज सी छल करती है...Nidhi
कहने को वो मेरी है...पर तेरे ही सपने पिरोती है...
मेरी कविता के हर एक शब्दमें क्यूँ है तेरा ज़िक्र???
तुज ही को सोच के अब भी मेरी आँखें क्यूँ रोती है??? #कविता