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बेइंतहा चाहत थी उससे इसीलिए उसे अपना बनाने की कोशि

बेइंतहा चाहत थी उससे इसीलिए उसे अपना बनाने की कोशिशें बेहिसाब थी,
चाहता था वह शायद किसी और को इसलिए मेरी सारी कोशिशें नाकाम थीं।

उसकी चाहत के चर्चे शहर में सरेआम होते थे इसीलिए हमारी भी चाहत बनी,
रूबरू हुए जब हम उसकी हकीकत से समझ में आया वो बेकार बदनाम हुई थी। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 193 में स्वागत करता है..🙏🙏

💫आप सभी 4-6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
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