इक दिन मंटो को पढ़ बैठा उस दिन से सहमा सहमा हूँ मुझको भी मालूम नही है मैं किस दुनिया मे रहता हूँ दरिया सा किरदार है फिर भी भीतर से कितना प्यासा हूँ उसको कोई जाकर कह दे सिगरट पीना छोड़ चुका हूं जबसे गए हो छोड़ के मुझको इस्टेशन पर ही बैठा हूँ । #जाने वाले