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ठंड मार शीत बाण हाड़ को कँपा रही। पाप क्या किया बत

ठंड मार शीत बाण हाड़ को कँपा रही।
पाप क्या किया बता स्वनाम जो जपा रही ।।
 प्रीत मीत मानके न वैर भावना रखा।
 ठंड दंड ताड़ना अमानना नहीं लखा।।

©Bharat Bhushan pathak #चामर_छंद 
शेष कल मेरे ब्लॉग पर poetry quotes poetry lovers poetry in hindi hindi poetry on life poetry on love
ठंड मार शीत बाण हाड़ को कँपा रही।
पाप क्या किया बता स्वनाम जो जपा रही ।।
 प्रीत मीत मानके न वैर भावना रखा।
 ठंड दंड ताड़ना अमानना नहीं लखा।।

©Bharat Bhushan pathak #चामर_छंद 
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