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जीवन की पतंग को आशाओं की डोर से। तू इसे उड़ाना मे

जीवन की पतंग को आशाओं की डोर से।
तू  इसे उड़ाना मेरे दोस्त दिल के छोर से।
आयेगी हजारों विघ्न बाधाएं तेरी उड़ान में,
तूं  इन्हें काटकर, गगन को चूमना धैर्य से। 

डॉ. भगवान सहाय मीना
बाड़ा पदमपुरा, जयपुर, राजस्थान।

©Dr. Bhagwan Sahay Rajasthani
  जीवन की पतंग और आशाओं की डोर

जीवन की पतंग और आशाओं की डोर #कविता

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