जिक्र अगर हो मेरा महेफ़ील में ,तो क्यों न खुलेआम हो, मैं चाहता हूं पर्वत के उन चोटी में,ज़िन्दगी का एक शाम हो| ©Saurav Das #जिक्र #महेफ़ील #खुलेआम #पर्वत #ज़िन्दगी #शाम #mountainday