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अरे कब तक मोमबत्तीयाँ जलाकर तस्वीरों के सामने सर झ

अरे कब तक
मोमबत्तीयाँ जलाकर
तस्वीरों के सामने सर झुकाए खड़े रहोगे
उन दरिन्दों को जलाने के लिए
एक माचिस की तीलि ही खुब है
अरे एक दरिन्दे को तो जिंदा जलाकर देखिये
किसी और की हिम्मत नहीं होगी
किसी की तरफ देखने की

©Anajaan Musaaphir कब तक#मोमबत्तीयाँ जलाकर#तस्वीरों के सामने सर झुकाए खड़े रहोगे उन#दरिन्दों को जलाने के लिए एक#माचिस की तीलि ही खुब है अरे एक दरिन्दे को तो जिंदा#जलाकर देखिये किसी और की#हिम्मत नहीं होगी किसी की तरफ देखने की
#nojotohindi #nojotopoem #OpenPoetry
अरे कब तक
मोमबत्तीयाँ जलाकर
तस्वीरों के सामने सर झुकाए खड़े रहोगे
उन दरिन्दों को जलाने के लिए
एक माचिस की तीलि ही खुब है
अरे एक दरिन्दे को तो जिंदा जलाकर देखिये
किसी और की हिम्मत नहीं होगी
किसी की तरफ देखने की

©Anajaan Musaaphir कब तक#मोमबत्तीयाँ जलाकर#तस्वीरों के सामने सर झुकाए खड़े रहोगे उन#दरिन्दों को जलाने के लिए एक#माचिस की तीलि ही खुब है अरे एक दरिन्दे को तो जिंदा#जलाकर देखिये किसी और की#हिम्मत नहीं होगी किसी की तरफ देखने की
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