वो मंज़र प्यार का उभरता है आज भी। दिल तेरी याद में तड़पता है आज भी।। सोचा नहीं था तू इतना बदल जायेगा। वादा तेरा मुझको सताता है आज भी।। आतिश - ए- ईश्क़ में यूँ जल गया था मैं। धुँवा बन ये ज़ख्म सुलगता है आज भी।। मुसाफ़िर था ख़त्म हो गया उसका सफ़र। मंज़िल के लिए वो मचलता है आज भी।। दर्द "सानी" का अब तो दवा की तरह है। यादों में तेरी दिन गुजरता है आज भी।। ©Md Shaukat Ali "Saani" #आज_भी #lily