जिन्दगी में क्या कमी है बेवजह की ये सरगर्मी है चौराहे जम-जम पड़े हैं राहें सुनसान बड़ी है सूर्य की आश नहीं टूटती स्याह भी मौका नहीं चुकती लोग खुशहाल होके जाते हैं संघर्ष को गरीबी बताते हैं संस्कारों ने उत्साह सजाया है अन्धविश्वास भी खूब भाया है भगवान हर जगह हैं भक्तों का वजह है समोसे में आलू है दुनियां तो चालू है जिन्दगी में क्या कमी है बीमा बहुत धनी है सब मोह माया है।। सोचते हैं, ज़िन्दगी में क्या कमी है। #क्याकमीहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #विप्रणु #yqdidi #life #poetry