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“थोड़ी देर रुक सकते हो..?” “हां.. मगर मेरा रुकना क्

“थोड़ी देर रुक सकते हो..?”
“हां.. मगर मेरा रुकना क्या कुछ सुलझा पायेगा..?”
“तुम्हें क्या लगता हैं..?”
“शायद नहीं, काफी ज्यादा उलझ गए हैं हम।”
“ठीक हैं तो चले जाओ।”
“हम्म... फिर मिलोगी मुझसे..?”
“वक़्त के ऊपर हैं, हमारे हिसाब से कहाँ  ही कुछ हुआ हैं आज तक।”
“कभी कहीं टकरा गई तो क्या कहोगी..?”
“वही”
“क्या..?”
“थोड़ी देर रुक सकते हो..!!”

©Prashant  #rukhsat
“थोड़ी देर रुक सकते हो..?”
“हां.. मगर मेरा रुकना क्या कुछ सुलझा पायेगा..?”
“तुम्हें क्या लगता हैं..?”
“शायद नहीं, काफी ज्यादा उलझ गए हैं हम।”
“ठीक हैं तो चले जाओ।”
“हम्म... फिर मिलोगी मुझसे..?”
“वक़्त के ऊपर हैं, हमारे हिसाब से कहाँ  ही कुछ हुआ हैं आज तक।”
“कभी कहीं टकरा गई तो क्या कहोगी..?”
“वही”
“क्या..?”
“थोड़ी देर रुक सकते हो..!!”

©Prashant  #rukhsat
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