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Alone वो भी क्या दिन थे जो साथ बिताये दादा-

Alone  




वो भी क्या दिन थे 
जो साथ बिताये
दादा- दादी के आज भी
वो याद आते है 
काश वो दिन वापस आ जाता
बचपन की सौगात हमें मिल जाता
जब दादा के हाथ से मखन खाना
उनके गोद में उछलकर बैठ जाना
दादी के हाथ से छाछ पिना 
लोरी सुनते शो जाना
जब भी कोई डांटे तो दादा- दादी से कह देना
पारले- जी खाकर खुश होकर खैलने चल देना
वो भी क्या दिन थे

©Sumit Singh Rathor दादा जी - दादी जी 

#alone
Alone  




वो भी क्या दिन थे 
जो साथ बिताये
दादा- दादी के आज भी
वो याद आते है 
काश वो दिन वापस आ जाता
बचपन की सौगात हमें मिल जाता
जब दादा के हाथ से मखन खाना
उनके गोद में उछलकर बैठ जाना
दादी के हाथ से छाछ पिना 
लोरी सुनते शो जाना
जब भी कोई डांटे तो दादा- दादी से कह देना
पारले- जी खाकर खुश होकर खैलने चल देना
वो भी क्या दिन थे

©Sumit Singh Rathor दादा जी - दादी जी 

#alone