यौ भोला कतय अहां रूसल छी गौरी ताकि रहल छथ ना ।। भांगक पोटरी घर टांगल अछि आक धथुरो ना की ताकय लेल घर सं परायल कतय ढ़ुकल छी ना यौ भोला .... पूव दिशा गणपति जा देखला कार्तिक पश्चिम ना नन्दी बाबा चहुंदिस ताकथि कतय छुपल छी ना यौ भोला ..... नागक माला खसल बाट मे डमरू हरायल ना बाघक छाला रहल कैलाशे कतय गंग बैसायल ना यौ भोला ........ हे औढ़र दानी घुरि आबु हम संग खेलायब न देखु राघव करय गोहारि झुकि शीश नवायब ना यौ भोला ......... ©राघव_रमण 24/07/19 #श्रावणी_सोमवारी