भ्रमर पँखुड़ी को रहा निहार, मन ही मन करता है प्यार। आस लगाए बैठा है दीवाना, शायद हो जाए मनुहार। मन में आता यही विचार, कहता है वो दीवाना हर बार। काश कि हम दोनों इक हो जाते, मिल जाता सुखद संसार। प्यार की तपिश में तपना चाहे, पिघलने को भी है तैयार। देख के ऐसा रूप निखार, मन भी चंचल होता है बार-बार। 💐🥳🥳काव्य विविधा Challenge: submit before 6a.m the next day,mentioning 'Done' in comment section. No plagiarism please. 💐नमस्कार ! साथियों Tanha Raatein परिवार में आपका हार्दिक स्वागत करते है ..ऊपर दिये गये चित्र को अपने सुंदर शब्दों से सजाएँ । 💐अपने भाव 4 -8 लाईनों में लिखें .... 4-8 लाइन्स verses:छंद-मुक्तक काव्य-शैली उर्दू लफ्ज़ वर्जित हैं रचना में।