उन गली गली और सड़क सड़क पे , दौड़ बड़ा हुआ अपने लड़कपन से; उस सगरा किनारे से रोज गुजर के , मै जाता था स्कूल मे पढने; जुड़ी है यादे कई उस पार्क से , जिसमे गांधी जी खड़े अभिमान से; खाते जब कचौड़ी राधे श्याम की , तब जाकर बुझती अग्नि पेट की; छक्का चौआ खुब लगाते , जब जब टाॅमसन के मैदान मे जाते; वो पार्टियां अभी भी याद है आती , जिसको हर टोली पिज्जा हब मे थी मनाती; मंगल के दिन हनुमान गढ़ी और बृहस्पति को सांई दरबार मे जाते; ईदगाह की सड़क से निकलकर दुखःहरण नाथ के हम दर्शन पाते; वो गोंडा महोत्सव की हसीन शाम, जो पूरी तरह होती थी उसी के नाम; वो अवास विकास की सड़को पे, अक्सर कोचिंला लगना; प्यार मे पड़े आशिको का बाइको से उन सड़को पर हर दम गुजरते रहना; याद आती है अब हर वो बात जिनसे छूट गया है साथ; चले आए हो बाहर लाख , पर गोंडा से जुड़े है दिल के तार; #MeraShehar