*क्या सोचे थे और क्या ये हो गया* कल जो सपने थें बुने, वह आज हाथों से मेरे बिखर गया..! *क्या सोचे थे और क्या ये हो गया* सितारों से सजी रात में, उनकी यादों का सैलाब आंखों से मेरे बेह गया..!! *क्या सोचे थे और क्या ये हो गया* थें, हमसफर एक दूजे के सफर में हम, आज सफर में.., मैं देखो ना तनहा ही रेह गया..!!! *क्या सोचे थे और आज क्या ये हो गया* ©R...Khan #क्या#सोचे#थें#और#क्या#ये#हो#गया #MereKhayaal Saurav Das sAtYaM deepshi bhadauria