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एक जख्मी परिंदा बेतहाशा उड़ने को मजबूर है नाज़ुक प

एक जख्मी परिंदा बेतहाशा उड़ने को मजबूर है
नाज़ुक पंख धुंधले नज़ारे जाना लेकिन दूर है।

अजब रवानी है हवा भी खिलाफ है उसके।
मंज़िल की गरज है तो लड़खड़ाना भी जरूर है।

लाखो के हौसले टूटे देख आसमां की बुलंदी।
और उस परिंदे कि उड़ान भी जहां में मशहूर है।

एक जख्मी परिंदा बेतहाशा उड़ने को मजबूर है
नाज़ुक पंख धुंधले नज़ारे जाना लेकिन दूर है। #ZakhmiParinda
एक जख्मी परिंदा बेतहाशा उड़ने को मजबूर है
नाज़ुक पंख धुंधले नज़ारे जाना लेकिन दूर है।

अजब रवानी है हवा भी खिलाफ है उसके।
मंज़िल की गरज है तो लड़खड़ाना भी जरूर है।

लाखो के हौसले टूटे देख आसमां की बुलंदी।
और उस परिंदे कि उड़ान भी जहां में मशहूर है।

एक जख्मी परिंदा बेतहाशा उड़ने को मजबूर है
नाज़ुक पंख धुंधले नज़ारे जाना लेकिन दूर है। #ZakhmiParinda