सब थे तो एक जैसे ! फिर इतने अलग कैसे ? जो पले एक साथ , बड़े एक साथ , सीखे एक साथ , रहे आस - पास , अब वो एक दूसरे से अलग क्यों है ? फर्क तो सिर्फ शरीर का था ना , मन तो अभी तक एक साथ था ना , जीवन में मतभेद तो सबके होते है , पर क्या सच्चे रिश्तों को वो कभी चुबोते है ? अब फर्क , हम से मैं का क्यों आया था ? क्या मन में सबने इतना कुछ छुपाया था ! सब थे तो एक जैसे !