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सब थे तो एक जैसे ! फिर इतने अलग कैसे ? जो पले ए

सब थे तो एक जैसे ! 
फिर इतने अलग कैसे ? 

जो पले एक साथ , बड़े एक साथ ,
सीखे एक साथ , रहे आस - पास ,
अब वो एक दूसरे से अलग क्यों है ? 

फर्क तो सिर्फ शरीर का था ना ,
मन तो अभी तक एक साथ था ना ,

जीवन में मतभेद तो सबके होते है ,
पर क्या सच्चे रिश्तों को वो कभी चुबोते है ? 

अब फर्क , हम से मैं का क्यों आया था ? 
क्या मन में सबने इतना कुछ छुपाया था ! सब थे तो एक जैसे !
सब थे तो एक जैसे ! 
फिर इतने अलग कैसे ? 

जो पले एक साथ , बड़े एक साथ ,
सीखे एक साथ , रहे आस - पास ,
अब वो एक दूसरे से अलग क्यों है ? 

फर्क तो सिर्फ शरीर का था ना ,
मन तो अभी तक एक साथ था ना ,

जीवन में मतभेद तो सबके होते है ,
पर क्या सच्चे रिश्तों को वो कभी चुबोते है ? 

अब फर्क , हम से मैं का क्यों आया था ? 
क्या मन में सबने इतना कुछ छुपाया था ! सब थे तो एक जैसे !