काश, मेरे दिल में भी थोड़ा स्वार्थ भरा होता, अपने लिए भी मैंने कुछ किया होता, दूसरों की परेशानियों में उलझकर, अपने दुखों को यूँ मैं नज़रअंदाज़ ना करता। 💕 लेखन संगी 💕 काश... ***** काश, मैं यूँ बड़ा ना होता, सबको अपनेपन के बंधन में ना बाँधता, दुश्मन को भी गले लगाकर उसका सारा गुनाह माफ़ ना कर देता।