साखी में तुझसे अब बहुत दूर चला जाऊंगा अपने ही दिल को में भुलकर चला जाऊंगा महफ़िलो में कभी भी में तुझे याद न आऊंगा जब होगी तू बहुत ही ज़्यादा तन्हा साखी तब तेरी आँखो का आंसू बन में गिर जाऊँगा होगी तेरी लाखो हसरतें पूरी दुआ है मेरी, लेकिन सज़दे में,में कभी तुझे नज़र न आऊंगा ये दिल अब टूट गया शीशे से ज़्यादा साखी अब शीशे को तेरे में छोड़कर चला जाऊँगा अंधरी रात में तू कभी भी ज्यादा रोना मत, नही तो में तेरे लिए सितारा बन टूट जाऊँगा दिल से विजय मेरी साखी