सच्चों को मिलती डांट यहाँ, झूठे मिठाइयाँ खाते हैं। सीने पर देकर घाव यहाँ, अपने दवाइयाँ लाते हैं।। अस्मत खोती है मासूमी, उद्दण्डी पूजे जाते हैं। मानवता है लाचार यहाँ, हिंसक पशु विगुल बजाते हैं।। अब देवी देवी रही नहीं, देवत्व अमरता खो बैठा। खूं रिसता है जज्बातों से, रिश्ता रिश्ता अब रो बैठा।। व्रत करता है नित हर दरिद्र, वरदान धनी ले जाता है। ओढ़े बैठे सब खाल यहाँ, रावण साधू बन जाता है।। निर्लज्ज तालियाँ पीट रहा, लज्जा लज्जा में डूबी है। खो बैठे सारे संस्कार, इंसानों में यह खूबी है।। होते नित खुलकर ढोंग यहाँ, हर पल कुरीतियाँ हसती हैं। नारी में नर का बास हुआ, अब नर में नारी बसती हैं।। जिसने नोंची थी हर कन्या, वो कन्या पूजन करते हैं। मन से हर रोज जले रामा, पुतलों में रावण जलते हैं।। #manojkumarmanju #manju #dashhara #hindipoems #hindiquotes