तेरी आँखों की शरारत में क्या बात थी..... रात भी आवारा बनी थी , मेरा मन को भी बहका बहका दिया था ? प्रेम और भाग्य का कैसा मिलन था ? मेरी रात और नींद में जाने क्यों खटपट कराया था , उन्हें याद करके उम्र बीत रही है बिछड़न सारी सीमाएं तोड़ रहीं है और उन्हें कोई एहसास से भरा अखवार नहीं दिखाई देती है जो पढ़ सके बेचैनियां , दूरियां या तपता हमरा प्रेम... तुम भी उस मिलन के दृश्य और प्रेम की अनुभूति के दौरे , जिसके किरदार थे... कैसे तुम्हें समझाऊं मेरी आँखे मेरा मन उस पहर और प्रेमरंग की सुंदरता को याद किया और याद किया तुम अविस्मरणीय और हृदयशील बन गयी और बनी रह गयी ... कोई शोर नहीं पर शोर ही शोर रहा, कोई आवाज नहीं पर आवाज ही आवाज रहा, कोई घाव नहीं पर घाव ही घाव रहा ? पर तुम्हें ....तुम्हें कोई घुटन नहीं शायद अब तुम्हें मैं याद भी नहीं ...... #निशीथ ©Nisheeth pandey तेरी आँखों की शरारत में क्या बात थी..... रात भी आवारा बनी थी , मेरा मन को भी बहका बहका दिया था ? प्रेम और भाग्य का कैसा मिलन था ? मेरी रात और नींद में जाने क्यों खटपट कराया था , उन्हें याद करके