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वो भी क्या दिन थे,, कंधे पे झोला हांथों में तख्ती,

वो भी क्या दिन थे,,
कंधे पे झोला हांथों में तख्ती, अपना ही टोला, अपनी वो बस्ती।
न आज की चिंता, न चिंता थी कल की,,
आइस पाइस, चिल्हारपत्ति,, कहाँ खो गया वो घोड़कब्बडी,,
चिड़िया उड़ बत्तख उड़ , चुरा के खेलना, वो तासो की गड्डी,
तोहार माई लंगड़ी 2 कह के खेलना कब्बड्डी,,
काश हमेशा होता वो बचपन याद आता है अब भी,,
वो भी क्या दिन थे ,,
कंधे पे झोला वो हांथो में तख़्ती।। #bachpan
वो भी क्या दिन थे,,
कंधे पे झोला हांथों में तख्ती, अपना ही टोला, अपनी वो बस्ती।
न आज की चिंता, न चिंता थी कल की,,
आइस पाइस, चिल्हारपत्ति,, कहाँ खो गया वो घोड़कब्बडी,,
चिड़िया उड़ बत्तख उड़ , चुरा के खेलना, वो तासो की गड्डी,
तोहार माई लंगड़ी 2 कह के खेलना कब्बड्डी,,
काश हमेशा होता वो बचपन याद आता है अब भी,,
वो भी क्या दिन थे ,,
कंधे पे झोला वो हांथो में तख़्ती।। #bachpan