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कभी हद से जादा प्यार भी बोझ लगने लगता है, कभी हद स

कभी हद से जादा प्यार भी बोझ लगने लगता है,
कभी हद से जादा मुस्कान भी आँशु लाती है।
कोई कैसे समझे कि प्यार है क्या ,
कोई कैसे जाने प्यार है कितना।
कभी प्यार बंधन बन जाता है, 
कभी बंधन से रिश्ते बिखरते जाते हैं।
ख़ुद को दोश देते हैं कि शायद हम समझ नही सके ,
लेकिन सच्चाई भी यही होती है कि हम समझ न सके।
कभी हद से जादा प्यार भी बोझ लगने लगता है,
कभी हद से जादा मुस्कान भी आँशु लाती है।
@कवित्त कलश हद से जादा प्यार
कभी हद से जादा प्यार भी बोझ लगने लगता है,
कभी हद से जादा मुस्कान भी आँशु लाती है।
कोई कैसे समझे कि प्यार है क्या ,
कोई कैसे जाने प्यार है कितना।
कभी प्यार बंधन बन जाता है, 
कभी बंधन से रिश्ते बिखरते जाते हैं।
ख़ुद को दोश देते हैं कि शायद हम समझ नही सके ,
लेकिन सच्चाई भी यही होती है कि हम समझ न सके।
कभी हद से जादा प्यार भी बोझ लगने लगता है,
कभी हद से जादा मुस्कान भी आँशु लाती है।
@कवित्त कलश हद से जादा प्यार
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