कभी हद से जादा प्यार भी बोझ लगने लगता है, कभी हद से जादा मुस्कान भी आँशु लाती है। कोई कैसे समझे कि प्यार है क्या , कोई कैसे जाने प्यार है कितना। कभी प्यार बंधन बन जाता है, कभी बंधन से रिश्ते बिखरते जाते हैं। ख़ुद को दोश देते हैं कि शायद हम समझ नही सके , लेकिन सच्चाई भी यही होती है कि हम समझ न सके। कभी हद से जादा प्यार भी बोझ लगने लगता है, कभी हद से जादा मुस्कान भी आँशु लाती है। @कवित्त कलश हद से जादा प्यार