सूरज ने चादर उघाड़ किरणों को छोड़ दिया खेलने बाहर, आज ये किरणे हो मस्त मगन घूम रही हैं गगन गगन, नये सवेरे का पैगाम बन कर इन किरणों ने भेजा एक सन्देश, माना वक्त थोड़ा रुष्ट हैं, पर इस वक्त में भी हँसना होगा क्योंकि अंत समय तक जीतनी हैं जिंदगी की रेस।।। यह प्रतियोगिता संख्या - 22 है साहित्य कक्ष में आप सभी कवि-कवियत्री का स्वागत 🙏🏻 है। चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें 🅽🅾🆃🅴 - अगर कोई सारे नियम और शर्तों को ध्यान में रखकर Collab नहीं करता है। उसकी रचना को प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाएगा। #collabchallenge