मंजिल की राह में रूकावटे हर बार नए रूप में हैं.. इसमें कई असल कारण भी हैं, कई चहते हैं और कई बहाने भी हैं, निराशा भी है, असफलताओं का ढेर भी है पर सब कुछ मुस्करा कर पार कर लेता हूं उस एक मंज़िल के लिए.... ©MAAN THE CREATOR By- मृगांक #Books