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साहित्यिक संदेश वक्त जब किसी मनुष्य के अंतःकरण क

साहित्यिक संदेश 

वक्त जब किसी मनुष्य के अंतःकरण को 
निचोड़कर हृदय में संवेदनाओं की कल-कल
 निर्मल धारा बहा देता है तो शायद एक लेखक का
 जन्म होता है। 
जब समाज में एक लेखक का
 प्रादुर्भाव होता है तो बहुमूल्य आदर्शों की स्थापना
 की नई आशा जगती  है।
 इन आदर्शों की स्थापना
 से जब लोगों के कल्याण और हित का पथ
 प्रकाशित होने लगता है तब उस लेखक के द्वारा
 लिखी गई रचनाएं साहित्य बन जाती हैं।
अर्थात किसी भी भाषा की हितकारी रचनाएं ही
 साहित्य कहलाती हैं।

' धर्मेन्द्र कुमार शर्मा '

©धर्मेंद्र कुमार शर्मा
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