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जरूरत के हिसाब से लोगों को बदलते देखा है.. सुबह से

जरूरत के हिसाब से लोगों को बदलते देखा है..
सुबह से शाम और शाम को रात में ढलते देखा है..
इंसानों की तो बात अलग है इन्होंने तो बदलने में गिरगिट को भी पीछे छोड़ रखा है..
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जरूरत के हिसाब से लोगों को बदलते देखा है..
सुबह से शाम और शाम को रात में ढलते देखा है..
इंसानों की तो बात अलग है इन्होंने तो बदलने में गिरगिट को भी पीछे छोड़ रखा है..
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