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दिल के कमरों में आज कैसी महक आयी है, लगता है उसके

दिल के कमरों में आज कैसी महक आयी है,
लगता है उसके बदन को छूकर हवा आयी है।

कई रोज़ से तबियत ख़राब रहने लगी है मेरी,
यक़ीनन उसे आज़ इश्क़ की हिचकी आयी है।

सुना है सावन में ख़्वाब पागलपन बन जाता है,
इक दास्तां लिखने के ख़ातिर बरसात आयी है।

इक उम्र से नही खटखटाता कोई दरवाजा मेरा,
ढ़लते  दिन के साथ  ज़िंदगी की शाम आयी है।

तुझे न चाहने की कसम आज़ टूट गई अंजान,
जबसे तेरी तस्वीर मेरी निग़ाहों में उतर आयी है। (इश्क़ की हिचकियाँ)

#कोराकाग़ज़ 
#collabwithकोराकाग़ज़ 
#विशेषप्रतियोगिता
#इश्क़कीहिचकियाँ 
#kksc15 
#yqdidi
दिल के कमरों में आज कैसी महक आयी है,
लगता है उसके बदन को छूकर हवा आयी है।

कई रोज़ से तबियत ख़राब रहने लगी है मेरी,
यक़ीनन उसे आज़ इश्क़ की हिचकी आयी है।

सुना है सावन में ख़्वाब पागलपन बन जाता है,
इक दास्तां लिखने के ख़ातिर बरसात आयी है।

इक उम्र से नही खटखटाता कोई दरवाजा मेरा,
ढ़लते  दिन के साथ  ज़िंदगी की शाम आयी है।

तुझे न चाहने की कसम आज़ टूट गई अंजान,
जबसे तेरी तस्वीर मेरी निग़ाहों में उतर आयी है। (इश्क़ की हिचकियाँ)

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