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आमों की डाली झुकने लगी है, कलियों मे बौर आने लगे ह

आमों की डाली झुकने लगी है,
कलियों मे बौर आने लगे है। 
पड़े हैं बसंत के चपल चरण,
तो भवरे भी मुस्काने लगे है।

गुलमोहर का पेड़ लुभा रहा है,
लाल नारंगी फूल उस पर आने लगे है। 
पड़े है बसंत के चपल चरण,
दिल भी सबके मुस्कराने लगे है। 

आती बसंती हवाओ को देख,
सर्दी भी अब जाने लगी है।
पड़े है बसंत के चपल चरण,
लोग सब मुस्कराने लगे है।

लगा के सरस्वती की तस्वीर अब, 
आरती सब गाने लगे है।
पड़े बसंत के चपल चरण,
अब मौसम भी मुस्कराने लगे है।

©Divyanjli Verma
  बसंत के दिन

बसंत के दिन #कविता

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