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मन का लिखू, तो शब्द कम पड़ जाते हैं। । किसी और के

मन का लिखू, तो शब्द कम पड़ जाते हैं। ।
किसी और के बारे मैं लिखू ,तो अपने रूठ जाते है। ।
कमबख्त ऐसा है जिंदगी मैं अफ़साना। ।।
रूबरू रोज होती हूं इस जिंदगी के अफ़साने से। ।।

©Zindgi Ka Safar # priyaa #SAD  आज का विचार सुप्रभात स्वामी विवेकानंद के विचार आज का विचार अब्दुल कलाम के विचार हिंदी छोटे सुविचार
मन का लिखू, तो शब्द कम पड़ जाते हैं। ।
किसी और के बारे मैं लिखू ,तो अपने रूठ जाते है। ।
कमबख्त ऐसा है जिंदगी मैं अफ़साना। ।।
रूबरू रोज होती हूं इस जिंदगी के अफ़साने से। ।।

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