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हाथ से छू के इसे रिश्तो का इल्जाम ना दो। सिर्फ ए

हाथ से छू के इसे रिश्तो का 
इल्जाम ना दो।

सिर्फ एहसास है ये रूह से महसूस करो 
प्यार को प्यार ही रहने दो
कोई नाम ना दो।

©Pankaj Ojha 2ed poetry of my prem series
हाथ से छू के इसे रिश्तो का 
इल्जाम ना दो।

सिर्फ एहसास है ये रूह से महसूस करो 
प्यार को प्यार ही रहने दो
कोई नाम ना दो।

©Pankaj Ojha 2ed poetry of my prem series
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Pankaj Ojha

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