भर जाने भी दो अब ज़ख्मों को मत हर वक़्त हरा रखो कद उनका बड़ा रहने दो दिल अपना बड़ा रखो नजदीकियां बहुत ज्यादा भी अच्छी नहीं होती उम्र रिश्तों की बढ़ाने के लिए तुम फासला जरा रखो जिनकी फितरत ही फरेबी हो उनके ईमान का क्या कहिये कभी आईने से ना मुँह छुपाना पड़े तुम अपना ईमान खरा रखो #अभिशप्त_वरदान #हरे ज़ख्म