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जुबां ख़ामोश थी, लफ्ज़ भी लड़खड़ाते हुए क़लम थम सी

जुबां ख़ामोश थी, लफ्ज़ भी लड़खड़ाते हुए
क़लम थम सी गई और हम दिखावे के लिए मुस्कुराते हुए

ना कोई जोश, ना कोई उमंग, ना साहस होता फिर से बिखर जाने का
एक शून्य सी हो चली जिंदगी देख लिया असल रंग ज़माने का

ना दर्द समझा किसी ने,ना ख़ामोशी का सबब ही जान पाए
ना हाल ए दिल पूछा किसी ने ना जिंदा होने का सबूत मांगने आए
क्या खूब होते हैं ना दिखावे के ये रिश्ते, कुछ दिन दूर रहो तो
रिश्तों की डोर ही टूट जाए



ishu........ #मतलबी दुनिया#मतलबी लोग
जुबां ख़ामोश थी, लफ्ज़ भी लड़खड़ाते हुए
क़लम थम सी गई और हम दिखावे के लिए मुस्कुराते हुए

ना कोई जोश, ना कोई उमंग, ना साहस होता फिर से बिखर जाने का
एक शून्य सी हो चली जिंदगी देख लिया असल रंग ज़माने का

ना दर्द समझा किसी ने,ना ख़ामोशी का सबब ही जान पाए
ना हाल ए दिल पूछा किसी ने ना जिंदा होने का सबूत मांगने आए
क्या खूब होते हैं ना दिखावे के ये रिश्ते, कुछ दिन दूर रहो तो
रिश्तों की डोर ही टूट जाए



ishu........ #मतलबी दुनिया#मतलबी लोग
smitaishu8349

smita@ishu

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