तुझे देखा तो फिर हम हर, नज़ारा भूल बैठे हैं, जो चाहें देखना फिर से, नज़र कोई नहीं आता। तुम एक बार दिख के फिर गायब हो जाते हो। और दिल बेचैन, किसी और को देखने की तलब ही नहीं रहती। आखिर तुझे देख लेने के बाद, किसी और को देखें भी तो कैसे? चलो अब तो एक बार फिर से दिख जाओ मुझको। ज़माने हो गए देखे हुए तुमको। इकराश़ **एक शेर नज़र कर रहा हूँ, तुझे देखने की जुस्तुज़ू लिए हुए। फरवरी के महीना है, मुहब्बत तो झेलनी पड़ेगी। #नज़र_ही_नहीं_आता पर कुछ और ख़्याल पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें।