यह पंक्तियां किसी के लिए हैं व्यंगात्मक जब मन भ्रमित हो जाता है तो नयनों को फिर दृष्टि दोष हो जाता है यू लगता है कोई मुझको देख रहा पर अंतर में रोष हो जाता है kisi ke liye