एक रस्म - कन्यादान करती हूं कन्यादान मैं आगे तुम संभाल लेना बैठी हूं कन्यादान को आगे तुम संभाल लेना।। आभूषण के जैसे जिसे रखती थी संजो कर उन हीरो की रोशनी को आगे तुम संभाल लेना ।। ना फूलों सी नाज़ुक ना काटों सी कातिल हैं प्यारी सी खुशबू आगे तुम संभाल लेना।।। हो गलती जरा भी हो आखों मे माफ़ी करना uspe विश्वास आगे तुम संभाल लेना।। ज़िंदगी का सफ़र होगा मुश्किल भरा चाहें आए तूफान आगे तुम संभाल लेना।।। ना बाबुल की झोली ना मां का हो आंचल होगा तुम्हारा रूमाल आगे तुम संभाल लेना।। चाहें देश रहो या विदेश रहो रखना अपने संस्कार आगे तुम संभाल लेना।।। हो अगला कदम ममता की पेढ़ी पर उस दर्द की कमान आगे तुम संभाल लेना।। हो बचपन की याद नई होगी उड़ान साथ गृहस्थी का प्यार आगे दोनो संभाल लेना।।। और ये आखिरी बात कहती हूं मैं आज मां की दुआएं हज़ार आगे दोनों संभाल लेना।। बैठी हूं कन्यादान को आगे तुम संभाल लेना करती हु कन्यादान में आगे तुम संभाल लेना।।। (रुचि ) ©Ruchi Gupta #Ek Rasam Kanyadaan #part2